सालो बाद, आज फिर ...
मेरी पहली हिंदी कवीता. भाषा कवीता ने खुद चुनी, मैने सिर्फ कागज पर उतारा है।
जिंदगी फिर आज एक चौरहे
पर खडी है ...
कुछ साथी बिछुडे, कुछ नये
जुडे
कुछ समीकरण बने, कुछ
बिगडे
आज फिर एक मोड चुनना है
सही या गलत, वक्त पर छोडा
है
कुछ पाया, कुछ खोया
बहुत कुछ सिखा, बदला
नजरिया
आज फिर कुछ फैसले करने है
प्राथमिकताएं बदलनी है
फिर एक कदम बढाना है
कुछ नया कर दिखाना है
फिर खुदको साबीत करना है
औरो की तो पर्वा नहि, पर
.......
फिर अपनो कि तसल्ली के लिये
कुछ कर दिखाना है
Comments